'शब्दम्' : एक परिचय

भारतीय सन्दर्भ में शब्द की शक्ति और महिमा अपार है। ज्ञान का आधार है शब्द। इस देश में 'शब्द ब्रह्म' की साधना होती रही है। नाद, ध्वनि और अर्थ तीनों का सम्मिलित रूप है शब्द। साहित्य, संगीत और कला के केन्द्र में है शब्द। 'शब्दम्' संस्था की पृष्ठभूमि में शब्द की यही व्यापकता है।

20वीं सदी के अंतिम दशक में मुम्बई (महाराष्ट्र) में दो हिन्दी साहित्य सेवियों प्रो0 नन्दलाल पाठक एवं श्रीमती किरण बजाज ने हिन्दी काव्य मंच की तत्कालीन स्थितियों से व्यथित होकर, शब्दम् की नींव रखी। उन्हें लगा हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। हिन्दी भाषा का प्रयोग ज्यादातर सस्ते व निम्न स्तर के मनोरंजन के लिए हो रहा है। उन्हें दु:ख हुआ कि जहाँ संसार के छोटे से छोटे देश भी अपने साहित्य-संगीत-कला को संजोये हुए हैं वहीं हमारी नव पीढ़ी अपनी भारतीय संस्कृति की पहचान खोती जा रही है।

Kiran Bajajअंग्रेजी की महत्ता स्वीकारते हुए भी उन्हें वेदना हुई कि अंग्रेजी राष्ट्रभाषा हिन्दी का स्थान क्यों ले रही है? राष्ट्रभाषा हिन्दी को अपेक्षित सम्मान क्यों नहीं मिल रहा है? उसकी उपेक्षा इस कदर क्यों हो रही है?

इस पृष्ठभूमि पर चिन्तन और मंथन चलने लगा। मुम्बई, भारत की व्यापारिक एवं सांस्कृतिक राजधानी है और भारत का प्रवेश द्वार है। यह सोचा गया कि यदि इस महानगर में स्वस्थ एवं साहित्यिक काव्य गोष्ठियाँ आयोजित हो सकें तो भारत के अन्य क्षेत्रों को प्रोत्साहन मिलेगा। इस सोच को मध्य में रखकर शब्दम् के तत्वावधान में प्रतिवर्ष कवि सम्मेलन और काव्य गोष्ठियाँ आयोजित होने लगीं।

उल्लेखनीय कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:

  1. 11 अगस्त 1997 को 'स्वतंत्रता स्वर्ण महोत्सव' (1947-1997) के अवसर पर आकाशवाणी मुम्बई के साथ आयोजित अखिल भारतीय हिन्दी कवि सम्मेलन।
  2. जनवरी 1999 को सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायक व संगीत निर्देशक श्री जगजीत सिंह की उपस्थिति में हिन्दी ग़ज़ल के श्रेष्ठ रचनाकारों की प्रस्तुति।
  3. 12 फरवरी 2000 को ब्रज-अवधी और खड़ी बोली कविता शीर्षक से काव्य पाठ।

इस तरह शब्दम् ने इन स्तरीय हिंदी कार्यक्रमों के आयोजनं से मुंबई में अपनी साख बना ली।

हिन्दी कविता का क्षेत्र बहुत व्यापक और प्रवाह बहुआयामी है। एक ओर आज भी वह अपनी बोलियों से पोषण पा रही है तो दूसरी ओर हिन्दी गीत की महत्वपूर्ण धारा ग़ज़ल को पूरा प्रश्रय दे रही है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर शब्दम् का मुख्य केन्द्र ब्रजभाषी क्षेत्र शिकोहाबाद, उ0प्र0 (भारत) स्थित हिन्द लैम्प्स परिसर में 17 नवम्बर 2004 को स्थापित किया गया। यहाँ शब्दम् को हिन्दी बोलियों और उपभाषाओं का व्यापक परिवेष मिला। इसमें माँ शारदा की कृपा से श्री उदय प्रताप सिंह, श्री सोम ठाकुर, श्री मुकुल उपाध्याय, डॉ. सुबोध दुबे तथा ब्रज क्षेत्र के अन्य विषिष्ट साहित्यकारों का भरपूर सहयोग मिला।

17 नवम्बर 2004 - शब्दम् स्थापना दिवस का शुभारम्भ ''ब्रज काव्य परम्परा एवं प्रासंगिकता'' पर विचार गोष्ठी से हुआ। शब्दम् स्थापना दिवस की रात्रि 'ब्रज भाषा पद गायन' से सुगंधित हुई। अगले दिन 'हिन्दी ग़ज़ल-परम्परा और विकास' पर अविस्मरणीय विचार गोष्ठी हुई। 18 नवम्बर 2004 की रात्रि को ''काव्य बेला'' समारोह हुआ जिसमें हिन्दी के प्रतिष्ठित कवियों श्री गोपालदास 'नीरज', प्रो0 नन्दलाल पाठक, श्री उदयप्रताप सिंह, श्री सोम ठाकुर, डा0 कुँअर ‘बेचैन’, डा0 उर्मिलेश शंखधर, श्री प्रदीप चौबे, डा0 शिवओम 'अम्बर' ने भाग लेकर, शब्दम् को यश प्रदान किया।

शब्दम् के तत्वावधान में वर्ष 2004-2005 में विविध आयामों को सँजोये श्रेष्ठ कार्यक्रम हुए जिनमें - ''फागुन दुई रे दिना'', ''जाओ लला अब हुई गई होरी'', ''सूर संगोष्ठी एवं पदावली गायन'', 'आंचलिक काव्य गोष्ठी', 'कबीर जयन्ती', विभिन्न ऋतुओं पर आयोजित काव्य गोष्ठियाँ, 'तुलसी जयन्ती', 'कत्थक' तथा 'भरतनाटयम्', नृत्यों की शास्त्रीय प्रस्तुतियाँ, हास्य व्यंग्य नाटक, 'नवांकुर संगीत समागम', 'हिन्दी दिवस',''आध्यात्मिक काव्य गोष्ठी'', 'संस्कृत वाङग्मय में होली' जैसे कार्यक्रम शब्दम् की उपलब्धि बने।

ग्रामीण हिन्दी साहित्यप्रेमी श्रोताओं और पाठकों के लिए शब्दम् ने ग्रामीण अंचलों में 'शब्दम् वाचनालयों' की स्थापना का बीड़ा उठाया है, तीन वाचनालयों की स्थापना हो चुकी है। साथ ही 'कृषक काव्य सम्मेलन' का आयोजन कर ग्रामीण कवियों को उनकी रचनात्मकता को प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया। शिकोहाबाद, उ.प्र. के महाविद्यालयों में 'शब्दम् प्रकोष्ठों' की स्थापना प्रारम्भ हो गयी है। यह सारे कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित होते रहेंगे।

शब्दम् की परिकल्पना में निहित है कि इसके माध्यम से श्रेष्ठ साहित्य जन साधारण के सामने सरलता से विविध आयामों में रखा जाय। हिन्दी की बोलियां विशेषकर ब्रज, अवधी और भोजपुरी से हिन्दी भाषा को जो बल मिला है उसे रेखांकित करने के लिए शब्दम कृत संकल्प है।

शब्दम् का प्रयास है कि अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं से मिल कर हिन्दी की सेवा करते रहें।

आपके सुझावों एवं सहयोग का हम सहर्ष स्वागत करेंगे.

Kiran Bajaj

17 नवंबर 2004 को ‘शब्दम’ ट्रस्ट डीड पर हस्ताक्षर कर्ते हुए न्यासी प्रो. नन्दलाल पाठक और अध्यक्ष श्रीम्ती किरण बजाज

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