बुद्ध जयंती

भगवान बुद्ध की जयंती 25 मई, 2013 को शिकोहाबाद में बच्चों के साथ एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। आयोजन में वक्ताओं ने बताया कि महात्मा बुद्ध ने प्रार्थना, ध्यान और करुणा जैसे मूल्यों को जीवन में विशेष महत्व देने का संदेश दिया और लोगों को व्यवहारिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जीवन के कल्याण के लिए आष्टांग मार्ग खोजा। व्यवहारिक जीवन में उनके बताए मध्यमार्ग का अनुकरण विश्व के अनेक देश कर रहे हैं। संगोष्ठी में बच्चों ने उनके जीवन से प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किए। श्रीमती रेखा शर्मा ने भगवान बुद्ध के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया। बच्चों ने पुष्प अर्पित कर भगवान को नमन किया।

प्रेरक प्रसंगः एक बार पुत्र शोक से पीडित महिला अत्यंत व्यथित दशा में महात्मा बुद्ध के पास पहुंची। उसने अपनी पीडा के निवारण के लिए प्रार्थना की। महात्मा ने महिला से कहा कि एक ऐसे घर से कुछ भिक्षा लेकर आओ जिसमंे कभी किसी की मृत्यु न हुई हो। तभी मैं तुम्हारी पीडा का शमन करूंगा। महिला यह बात मान कर भिक्षा मांगने चली गई और पूरे दिन दर-दर घूमी। लेकिन उसे एक भी ऐसा घर नहीं मिला, जिसमें कभी किसी की मृत्यु न हुई हो। शाम को वह रीता वर्तन लेकर वापस पहुंची तो बुद्ध ने उसे समझाया कि मृत्यु तो शाश्वत है। हर किसी को एक न एक दिन अपने प्रियजन को खोना पडता है। महिला उनके उपदेश का अनुभव कर चुकी थी। अतः उनकी बात सुन कर उसका पुत्र मोह का सारा दुख जाता रहा।

बुद्ध जयंती पर बच्चों एवं युवाओं के मध्य परिचर्चा करते ‘शब्दम्’ पदाधिकारी।

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